ABVP Delhi University की जीत और Gen Z का प्रभाव: छात्र राजनीति में नया दौर

ABVP delhi University: Nepal में Gen Z आंदोलन का असर दिखा भारत पर पंजाब के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी पर ABVP का कब्जा।

भारत की सीमा से लगा पड़ोसी देश Nepal की सरकार ने 26 सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स को ब्लॉक कर दिया था, उनका कहना था कि वो सरकार के रेजिस्ट्रेशन नियमों को पूरा नहीं कर रहे थे। इस फैसले के खिलाफ Gen Z की युवा पीढ़ी ने सोशल मीडिया पर और सड़कों पर विरोध प्रदर्शन शुरू किए। ये विरोध हिंसक हो गए-कर्फ्यू लगे, पुलिस फ़ायरिंग हुई, कई लोगों की मौत हुई और बड़ी संख्या में लोग घायल हुए।बाद में सरकार को सोशल मीडिया बंदी वापस लेना पड़ा, क्योंकि युवा अपनी अभिव्यक्ति की आज़ादी और भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़े हो गए थे।

मुख्य कारण था भ्रष्टाचार

  1. भ्रष्टाचार और सरकारी नीतियों से असंतोष – युवाओं का मानना है कि सरकार में भ्रष्टाचार बहुत बढ़ गया है, जिससे नौकरियों, शिक्षा और अवसरों में गिरावट आई है।
  2. सोशल मीडिया बैन – सरकार ने 26 सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स बंद कर दिए थे, जिससे युवाओं की आवाज़ दबाने की कोशिश मानी गई।
  3. आज़ादी की मांग – Gen Z पीढ़ी चाहती थी कि वे खुलकर अपनी राय रख सकें और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ सकें।
  4. हिंसक टकराव – भ्रष्टाचार और बैन दोनों कारणों से प्रदर्शन शुरू हुए, लेकिन पुलिस कार्रवाई और कर्फ्यू से हालात बिगड़ गए।

“Protection” (सुरक्षा) की ज़रूरत और उपाय

पुलिस और सुरक्षा बलों को ज़िम्मेदारी से काम करना चाहिए — लोगों को चोट पहुंचाने / हिंसा करने से बचना चाहिए।

युवा प्रदर्शनकारियों के अधिकारों की रक्षा होनी चाहिए — peaceful protest की अनुमति हो।

स्वतंत्र और निष्पक्ष जाँच हो — जिन्होंने हिंसा की या ज़रूरत से ज़्यादा बल प्रयोग किया, उन्हें जवाबदेह ठहराया जाए।

सरकारी विचार-विमर्श और नीति सुधार हो — ताकि प्रदर्शन की वजह बनी समस्याएँ हल हों (भ्रष्टाचार, नौकरी, अभिव्यक्ति की आज़ादी)।

Nepal में नई प्रधानमंत्री बनीं सुशीला कार्की

ABVP

नेपाल में हालिया जन विवादों और Gen Z-प्रदर्शनों के बाद, सुशीला कार्की को नए अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में नामित किया गया है।सुशीला कार्की ने 12 सितंबर 2025 को प्रधानमंत्री पद संभाला।वह नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री हैं।उनकी सरकार एक अंतरिम सरकार है, जिसका काम प्रवर्तन करना और आगामी चुनावों की तैयारी करना है।

Gen Z प्रदर्शन और पृष्ठभूमि

प्रदर्शन युवाओं द्वारा भ्रष्टाचार, असमानता और सोशल मीडिया बैन के विरोध में शुरू हुए थे।इन प्रदर्शनों के कारण ही के-पी शर्मा ओली की सरकार को इस्तीफा देना पड़ा।

क्यों है इतनी लोकप्रिय

सुशीला कार्की ईमानदार और सख्त छवि पहले नेपाल की सुप्रीम कोर्ट की चीफ़ जस्टिस भी रह चुकी हैं।उन्होंने न्यायपालिका में रहते हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त फैसले दिए थे।इस वजह से जनता उन्हें ईमानदार और सख्त नेता मानती है।कार्की भ्रष्टाचार विरोधी रुख है।

कार्की ने प्रधानमंत्री बनने के बाद साफ कहा कि वे भ्रष्टाचार मिटाने और पारदर्शिता लाने के लिए काम करेंगी।इस कारण खासकर युवा पीढ़ी उन्हें समर्थन दे रही है।उनके पहले भाषण में क्या कहा

कार्की ने कहा है कि जो प्रदर्शनों में मारे गए हैं उन्हें “martyrs” (शहीद) घोषित किया जाएगा।साथ ही उन्होंने भ्रष्टाचार को समाप्त करने, पारदर्शिता लाने और आम लोगों की जीवन-स्तर सुधारने का वादा किया है।

भारत पर असर

सुशीला कार्की का प्रधानमंत्री बनना भारत के लिए राजनीतिक स्थिरता, भ्रष्टाचार विरोध, और भारत-नेपाल संबंधों में सुधार की दिशा में एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है।

पंजाब और दिल्ली यूनिवर्सिटी पर ABVP का कब्जा

ABVP

दिल्ली और पंजाब यूनिवर्सिटी में ABVP की जीत केवल छात्र संगठन की ताकत का परिचायक नहीं है, बल्कि यह भारत के युवा राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव का भी संकेत है। इस जीत के पीछे Gen Z का निर्णायक प्रभाव साफ़ दिखता है,वे अब परंपरागत पहचान या पुराने झुकावों से प्रभावित नहीं होते, बल्कि मूल्य, मुद्दा और डिजिटल जागरूकता के आधार पर वोट करते हैं।

इसका मतलब है कि छात्र राजनीति अब सिर्फ़ कैंपस में सीमित नहीं, बल्कि देश की बड़े राजनीतिक और सामाजिक प्रवृत्तियों का आईना बन चुकी है। ABVP की रणनीति, सोशल मीडिया उपयोग और मुद्दा-आधारित संदेशों ने Gen Z को आकर्षित किया, जो आने वाले वर्षों में भारत में युवा नेतृत्व और विचारधारा के स्वरूप को भी गहराई से प्रभावित करेगा।

इस प्रकार, छात्र राजनीति में एक संगठन का दबदबा अब सिर्फ़ संगठनात्मक ताकत नहीं, बल्कि युवाओं की बदलती सोच, डिजिटल आदतें और मुद्दा-केंद्रित राजनीति का परिणाम भी है।

राहुल गांधी ने किया ट्वीट

डिस्क्लेमर:यह आर्टिकल केवल जानकारी और विश्लेषण के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें व्यक्त किए गए विचार किसी भी राजनीतिक संगठन, छात्र संगठन या व्यक्ति के पक्ष/विपक्ष में नहीं हैं। आर्टिकल में दी गई जानकारी स्रोतों और सार्वजनिक तथ्यों पर आधारित है। पाठक अपने विवेक से इसे पढ़ें और किसी भी राजनीतिक निर्णय या राय बनाने से पहले स्वतंत्र रूप से जानकारी प्राप्त करें।

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