Holi में भूलकर भी न करें ये काम: Happy holi 2025

Happy holi

Holi: भारत में होली का पर्व इस वर्ष शुक्रवार, 14 मार्च 2025 को मनाया जा रहा है। होलिका दहन का आयोजन 13 मार्च 2025 की रात को किया गया था, जिसका शुभ मुहूर्त रात 11:26 बजे से 12:29 बजे तक था।15 मार्च को रंगों की Holi मनाया जा सकता है।

होली की शुरुआत को लेकर कई पौराणिक और ऐतिहासिक मान्यताएँ हैं। मुख्य रूप से होली का त्योहार हिरण्यकश्यप, प्रह्लाद और होलिका की कथा से जुड़ा हुआ है।

होली की पौराणिक कथा

हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, असुर राजा हिरण्यकश्यप को अपने पुत्र प्रह्लाद की भगवान विष्णु के प्रति भक्ति पसंद नहीं थी। उसने अपनी बहन होलिका से कहा कि वह प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठ जाए, क्योंकि होलिका को वरदान था कि वह आग में नहीं जलेगी। लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित रहा, जबकि होलिका जलकर राख हो गई। इसी घटना की याद में होलिका दहन किया जाता है, और बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाया जाता है।

होली का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व

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1. प्राचीन काल से प्रचलित त्योहार – होली का उल्लेख वेदों, पुराणों, और जैन ग्रंथों में भी मिलता है।

2. मथुरा-वृंदावन में कृष्ण लीला से जुड़ा त्योहार – इसे राधा-कृष्ण के प्रेम और रंग खेलने की परंपरा से भी जोड़ा जाता है।

3. मुगल काल में लोकप्रियता – कुछ इतिहासकार मानते हैं कि मुगल काल में भी Holi को बड़े धूमधाम से मनाया जाता था।

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होली का प्रारंभिक स्वरूप

शुरुआत में होली मुख्य रूप से फसल कटाई और बसंत ऋतु के आगमन का उत्सव था। इसे ‘वसंतोत्सव’ के रूप में मनाया जाता था।

आज के समय में, होली भारत के लगभग हर हिस्से में अलग-अलग तरीकों से मनाई जाती है, जैसे कि लठमार Holi (बरसाना), फूलों की होली (वृंदावन), रंगपंचमी (मध्य भारत) आदि।

होली भारत का एक प्रमुख हिंदू त्योहार है, जिसे फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, यह त्योहार फरवरी या मार्च में आता है।

होली क्यों मनाई जाती है?

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होली का संबंध मुख्य रूप से भक्त प्रह्लाद, होलिका और भगवान विष्णु की कथा से जुड़ा है।

1. होलिका दहन की कथा

दैत्यराज हिरण्यकशिपु ने भगवान विष्णु से बैर रखा और अपने पुत्र प्रह्लाद को विष्णु-भक्ति के कारण मारना चाहा।

उसकी बहन होलिका, जिसे अग्नि में न जलने का वरदान था, उसने प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठने की योजना बनाई।

लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से होलिका जल गई और प्रह्लाद बच गए।

इसी घटना की याद में होलिका दहन किया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

2. रंगों वाली होली –

कहा जाता है कि भगवान कृष्ण ने राधा और गोपियों के साथ रंगों की Holi खेली थी। इसी परंपरा को आज भी लोग गुलाल, अबीर और रंगों से मनाते हैं।

होली का महत्व

बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक। रंगों के माध्यम से प्रेम, भाईचारे और सौहार्द को बढ़ावा देना। सर्दी के मौसम के अंत और बसंत ऋतु के आगमन का संकेत।

कैसे मनाई जाती है?

पहला दिन: होलिका दहन – लकड़ियों और उपलों का ढेर जलाकर बुराई के अंत का प्रतीक।

दूसरा दिन: रंग वाली होली – रंग, गुलाल, पिचकारी और पानी से होली खेली जाती है।

भोजन – गुझिया, ठंडाई, मालपुआ, पापड़ और अन्य पारंपरिक मिठाइयाँ बनाई जाती है।

कितना होता है होली पर व्यापार

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होली एक बड़ा त्योहार है, और इसका बाजार बहुत विशाल होता है। भारत में होली के दौरान कई सेक्टर में व्यापार तेजी से बढ़ता है। कुछ मुख्य सेक्टर और उनका अनुमानित व्यापार इस प्रकार है:

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1. रंग और गुलाल

हर साल 1,000-1,500 करोड़ रुपये का कारोबार होता है।

इको-फ्रेंडली और हर्बल रंगों की मांग बढ़ रही है।

2. मिठाई और खाने-पीने का सामान

होली पर 3,000-5,000 करोड़ रुपये तक का मिठाइयों और स्नैक्स का व्यापार होता है।

गुझिया, ठंडाई, नमकीन और मिठाइयों की बिक्री बहुत ज्यादा होती है।

3. कपड़े और फैशन

त्योहार के दौरान कपड़ों और फैशन आइटम्स का कारोबार 1,500-2,500 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है।

सफेद कुर्ते-पजामे और रंगीन टी-शर्ट की डिमांड बढ़ती है।

4. ड्राई फ्रूट्स और गिफ्ट आइटम्

होली पर गिफ्ट पैक, चॉकलेट, और ड्राई फ्रूट्स का कारोबार 1,000-2,000 करोड़ रुपये तक हो सकता है।

5. रंग खेलने के गैजेट्स और पानी के उत्पाद

पिचकारी, वाटर गन, गुब्बारे आदि का कारोबार 500-1,000 करोड़ रुपये तक होता है।

6. शराब और ठंडाई

शराब, ठंडाई और भांग मिश्रित उत्पादों का बाजार 2,000-3,000 करोड़ रुपये तक का हो सकता है।

7. टूरिज्म और ट्रैवल इंडस्ट्री

होली के दौरान पर्यटन स्थलों (मथुरा, वृंदावन, पुष्कर आदि) पर होटल, ट्रैवल और इवेंट्स से 5,000 करोड़ रुपये तक का कारोबार होता है।

कुल मिलाकर

भारत में Holi के दौरान 15,000-20,000 करोड़ रुपये तक का कुल व्यापार होता है। यह त्योहार व्यापारियों और कंपनियों के लिए एक बड़ा अवसर लेकर आता है।

होली पर 7 सुरक्षा टिप्स

होली एक रंगों और उत्साह का त्योहार है, लेकिन इस दौरान कुछ गलतियाँ करने से त्योहार का मजा खराब हो सकता है। यहाँ कुछ बातों का ध्यान रखें:

1. जबरदस्ती रंग न लगाएँ

किसी पर जबरदस्ती रंग न डालें, खासकर उन लोगों पर जो रंग नहीं खेलना चाहते। संवेदनशील त्वचा वाले लोगों का सम्मान करें।

2. केमिकल रंगों का इस्तेमाल न करें

सिंथेटिक और हार्श केमिकल वाले रंग त्वचा और आंखों को नुकसान पहुँचा सकते हैं। हर्बल और प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल करें।

3. पानी की बर्बादी न करें

जरूरत से ज्यादा पानी न बहाएँ, सूखी होली खेलने को प्राथमिकता दें।

4. भांग या शराब का अधिक सेवन न करें

नशे में नियंत्रण खोने से झगड़े और दुर्घटनाएँ हो सकती हैं।अपने दोस्तों और परिवार के साथ ज़िम्मेदारी से जश्न मनाएँ।

5. अजनबियों और महिलाओं का सम्मान करें

होली के नाम पर किसी के साथ गलत व्यवहार न करें।महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखें।

6. गाड़ी सावधानी से चलाएँ

नशे की हालत में वाहन न चलाएँ, सड़क पर सुरक्षा का ध्यान रखें।

7. जानवरों पर रंग न डालें

रंग जानवरों की त्वचा और आँखों के लिए हानिकारक हो सकते हैं।अपने पालतू जानवरों को सुरक्षित स्थान पर रखें।

इन सावधानियों को अपनाकर आप एक सुरक्षित, खुशहाल और यादगार होली मना सकते हैं!

निष्कर्ष:

होली सिर्फ रंगों का त्योहार नहीं, बल्कि प्रेम, सद्भाव, बुराई पर अच्छाई की जीत और आनंद का प्रतीक है।हम सबको मिलकर प्रेम के साथ यह उत्सव धूमधाम से मनाना चाहिए।

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